गतांक से आगे...
बेमीना वाले घटना ने अंदर तक हिला कर रख दिया था। हम पूरी तरह सुृधर चुके थे। वहॉ की भयावहता भाप चुके थे।
हमेशा की तरह बी.एस. एफ. वाले घुमाने ले गये। डल झील पर शिकारा से हम सभी ने सैर की। वहॉ के लोगो से कई अन्य मुद्दो पर चर्चा भी हुई।
वही पॉचवे चरण की चुनाव के लिये डोडा के लिये भी बोला गया। पर इतने लम्बे समय तक घर से बाहर होने के कारण ऊब चुके थे। ये था कि जल्दी से चुनाव समाप्त हो और घर वापसी हो।
कानपुर के कई मित्र मजाक में बोल कर गये भी थे कि अगर वापसी न हो पाये तो इतना करना एक मूर्ति लगवा देना। कानपुर हो या लखनऊ चुनाव कर्मियों को छोड़ने आये हुए परिवारीजनों के आँखों में आँसू थे।
बी.एस. एफ. जवानों की जितनी तारीफ की जाय कम ही है। इस बीच एक नई समस्या ने जन्म ले लिया था। माँसाहारियों नें भोजन में सामिष भोजन की माँग कर दी। जिला स्तर के चुनाव अधिकारियों से जोर शोर से माँग होने लगी। उनकी माँग पूर्ण होते देख हम शाकाहारी शांत कैसे बैठते। हम लोगों ने भी छेने की माँग कर डाली। जो शाकाहारी लोग डायबिटीज से ग्रसित थे वे ठगा हुआ महसूस कर रहे थे।
इसके अलावा और भी कई संवेदनशील मुद्दे पर कई बार लोगो से झड़प हुई। उन प्रकरण को यहॉ उल्लिखित करना उचित प्रतीत नही होता।
जहॉ तक चुनाव में वोटिंग प्रतिशत का सवाल था। पूरी तरह से चुनाव boycotted था। मजाल कोई वोट डालने आ जायें। एजेंट इत्यादि थे। शायद 6-7 वोट पड़े होंगे बस।
@व्याकुल
(नीचे चित्र में शिकारा की सैर करते हुये)
क्रमशः
👌👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएं��������
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंमजा आ गया।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया भाई
हटाएं👌👌
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंनाइस
जवाब देंहटाएंThanks
हटाएंपढ़ते पढ़ते जब क्रमशः लिखा दिखता है तो ....। क्रम चलता रहे
जवाब देंहटाएंशुक्रिया भाई...प्रेरणा मिलती है आपके शब्दों से
हटाएं