कोई
कही नही
जाता
प्रयाण करता
है भी तो
ठिकाना बदलने को
ऊब जाता होगा
शायद
वही चेहरे
वही लोग
सब कुछ वही
निकल पड़ता है
अजनबी
रास्तें की ओर
शायद कुछ
नवीनतम्
देख सकें...
@व्याकुल
आस पास तड़पते लोगो को देखना और कुछ न कर पाना कितनी कोफ़्त होती है न। व्याकुलता ऐसे ही थोड़े न जन्म लेती है। कितना तड़प चुका होगा वो। रक्त का एक एक कतरा बह रहा होगा। दिल से कह ले या आँखों से। ह्रदय ग्लानि से कितना विदीर्ण हो चुका होगा। पैर भी ठहर गए होंगे। असहाय इस दुनिया में सिवाय एक निर्जीव शरीर के।
धाकड़ पथ.. पता नही इस विषय में लिखना कितना उचित होगा पर सोशल मीडिया के युग में ऐसे सनसनीखेज समाचार से बच पाना मुश्किल ही होता है। किसी ने मज...
बहुत अच्छा है सर
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
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